रिपोर्टर : आरती वर्मा,
स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 के दूसरे दिन का भव्य आयोजन, जिसमें 65 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व किया गया है, आज विविध सत्रों के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
सत्र: “योग, आयुर्वेद और संगीत की स्वास्थ्य में भूमिका”
आज के महत्वपूर्ण सत्र “योग, आयुर्वेद और संगीत की स्वास्थ्य में भूमिका” में भारतीय परंपराओं और स्वास्थ्य के बीच के संबंध पर गहन चर्चा की गई। इस सत्र के मुख्य अतिथि, पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी ने योग और आयुर्वेद को जीवन की संजीवनी बताते हुए इनके नियमित अभ्यास के महत्व पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ. अश्वनी काम्बोज ने आयुर्वेदिक पद्धतियों के आधुनिक चिकित्सा में योगदान पर अपने विचार साझा किए।
मुख्य वक्ता डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने विशेष रूप से नाड़ी विज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला, और समझाया कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली का यह हिस्सा स्वास्थ्य की समग्र स्थिति को समझने में सहायक है। सत्र की अध्यक्षता उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी ने की, जबकि शिक्षाविद् डॉ. राजेश नैथानी जी ने स्वास्थ्य और शिक्षा के संतुलन पर अपने विचार प्रस्तुत किए। शक्ति मिनोचा जी ने सत्र का कुशल संचालन किया।
सत्र: “संविधान, भारतीय भाषाएं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020”
स्पर्श हिमालय महोत्सव के दूसरे दिन के एक और महत्वपूर्ण सत्र में “संविधान, भारतीय भाषाएं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020” पर गहन संवाद हुआ। इस सत्र के मुख्य अतिथि, भारत के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया जी ने प्रेरणादायक विचार साझा किए।
मुख्य वक्ता अतुल कोठारी (सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, राजस्थान) ने मातृभूमि और माँ की महत्ता पर जोर दिया और शिक्षा में भारतीय मूल्यों की आवश्यक भूमिका को रेखांकित किया। राजेश कुमार पाण्डेय (वरिष्ठ शासकीय अधिवक्ता, उत्तर प्रदेश) ने संविधान और शिक्षा की प्रासंगिकता पर विचार प्रस्तुत किए।
सत्र का स्वागत भाषण विदुषी निशंक ने दिया और अध्यक्षता प्रो. सी. राजकुमार (कुलपति, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल विश्वविद्यालय) ने की। इस अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने दिया, जिन्होंने अतिथियों और उपस्थित जनसमूह का आभार व्यक्त किया।
अन्य महत्वपूर्ण सत्र: पर्यावरण और साहित्य पर विशेष चर्चा
इस आयोजन में “पर्यावरण और साहित्य” तथा “संस्कृति, प्रकृति और साहित्य” पर भी विशेष सत्र आयोजित किए गए, जिसमें विशेषज्ञों ने विचार साझा किए और साहित्य एवं पर्यावरण के आपसी संबंधों को रेखांकित किया।
स्पर्श हिमालय महोत्सव 2024 का यह आयोजन हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने और युवाओं को साहित्य, संस्कृति एवं कला के प्रति प्रेरित करने का एक सशक्त माध्यम बन रहा है।